के मुताबिक 80 वर्षीय फ्लोरेंस ऐलन 2012 में भारत से मेलबर्न आई थीं. उनकी बेटी शेरिल उनके साथ थीं. शेरिल ऑटिज्म से पीड़ित हैं. ऐलन के पति की मौत के बाद मां-बेटी ऑस्ट्रेलिया आ गई थीं. एबीसी की रिपोर्ट बताती है कि ऐलन एजेड पैरंट वीजा के लिए योग्य हैं लेकिन उनकी अर्जी इसलिए खारिज हो गई है क्योंकि उनकी एक विकलांग बेटी उन पर निर्भर है.
फ्लोरेंस और शेरिल को कह दिया गया है कि उन्हें 3 अक्टूबर तक ऑस्ट्रेलिया से चले जाना है. एबीसी के मुताबिक भरी हुई आंखों और भर्राए गले से ऐलन ने कहा, "सिर्फ उसके कारण परिवार को अलग कर देना. अगर वह विकलांग है तो यह उसकी गलती तो नहीं है."
ऐलन को अपनी बेटी के स्वास्थ्य की भी चिंता है कि उन्हें भारत जाने को मजबूर किया गया तो उनका क्या होगा. वह कहती हैं कि वहां शेरी नहीं बच सकेगी. 80 वर्षीया ऐलन कहती हैं कि वह अकेले कैसे अपनी बेटी को संभालेंगी.
जब ऐलन को वीजा नहीं मिला था तो परिवार ने इमिग्रेशन मंत्री को विशेष आग्रह किया था. लेकिन पिछले हफ्ते उन्हें बताया गया कि उनका आग्रह नहीं माना गया है.
जो पत्र परिवार को मिला है, उसमें लिखा है, "असिस्टेंट मिनिस्टर ने आपके अनुरोध पर निजी तौर पर विचार किया है और उसके बाद फैसला किया है कि इस मामले में दखल देना जनहित में नहीं होगा."
आमतौर पर डिपार्मेंट ऑफ इमिग्रेशन ऐसे लोगों को वीजा नहीं देता, जिनके विकलांग बच्चे उन पर निर्भर होते हैं. ऐलन को मिले पत्र में लिखा है कि हेल्थ केयर या कम्यूनिटी सर्विस के प्रावधानों के कारण ऑस्ट्रेलियन समाज को यह बहुत महंगा पड़ेगा.
हालांकि एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ऐलन की दूसरी बेटी जैकुई वांडरहोल्ट, जो 1991 से ऑस्ट्रेलिया में रह रही हैं, कहती हैं कि उनका परिवार शेरिल के लिए वेलफेयर क्लेम नहीं करना चाहता. उन्होंने कहा, "शेरिल अभी एक डे सेंटर में जाती हैं जिसका पूरा खर्च परिवार उठाता है. और हमें उसकी देखभाल करते रहने में कोई दिक्कत नहीं है."
वांडरहोल्ट ने एक ऑनलाइन पिटीशन शुरू की है जिसमें इमिग्रेशन मंत्री पीटर डटन के नाम अपील की गई है. इस अपील पर अब तक 30 हजार लोग दस्तखत कर चुके हैं.
डिपार्टमेंट ऑफ इमिग्रेशन के एक प्रवक्ता ने एबीसी को बताया कि ऐलन के मामले पर गहन विचार हुआ है. उन्होंने कहा, "असिस्टेंट मिनिस्टर बहुत कम मामलों में दखल देते हैं, जिनमें हालात एकदम असाधारण होते हैं."
प्रवक्ता ने कहा कि जिन लोगों की अर्जी खारिज हो जाती है, उनसे उम्मीद की जाती है कि वे ऑस्ट्रेलिया से चले जाएं.