भारतीय माइग्रेंट्स मिलियन डॉलर के वीसा स्कैम की चपेट में

41 वर्षीय सुनील कुमार कोचेरला कहते हैं कि ग्लोबल स्किल्स ने उनसे लगभग 30 हजार डॉलर ठगे हैं, रीजनल जॉब दिलाने के एवज में.

Lubo Jack Raskovic exits his car. Pic Nick Moir 10 nov 2017

Lubo Jack Raskovic exits his car. Pic Nick Moir 10 nov 2017 Source: The Feed

यह स्कैम एक मिलियन डॉलर से ज्यादा का है. इसमें नौकरी और वीसा दिलाने के वादे हैं. ऑस्ट्रेलिया में रहने के वादे हैं. और दर्जनों लोगों को लगी 50-50 हजार डॉलर्स की चपत है जिसकी एवज में तीन मिलियन डॉलर का महल बनाया गया. वादे करने वाला शख्स चमचमाती नई पोर्शे में घूमता है.

इस ऑपरेशन को चला रहे थे लूब जैक रास्कोविच जिन पर पहले भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है. सिडनी के नॉर्थ-वेस्ट में एक ऑफिस से यह पूरा कार्यक्रम चल रहा था. माइग्रैंट्स को स्पॉन्सर्ड नौकरी दिलाने का वादा किया जाता जिसकी फीस 70 हजार डॉलर्स तक होती थी.

मेलबर्न के मकैनिक हरमनदीप बराड़ रास्कोविच के ग्राहक रह चुके हैं. वह बताते हैं, "उसने कहा था कि स्पॉन्सरशिप चाहिए तो वो मेरी मदद कर सकता है. वो मुझे सही बंदे से मिलवा सकता है."

एसबीएस और फेयरफैक्स मीडिया की साझी पड़ताल से पता चला कि 59 साल के रास्कोविच और उनकी कंपनी ग्लोबल स्किल्स ऐंड बिजनस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड क्षेत्रीय कंपनियों को नौकरी और वीसा देने के एवज में पैसे देने की पेशकश करती थी.

क्रिस ओल्म क्वीन्सलैंड के वेस्टर्न डाउन्स में चिंचिला में क्रिस वेल्डिंग ऐंड स्टील नाम की कंपनी चलाते हैं.  वह कहते हैं कि उन्हें एक व्यक्ति को वीसा दिलाने और नौकरी देने के एवेज में 10 हजार डॉलर की पेशकश हुई थी. जब उन्होंने रास्कोविच से पैसे के बारे में पूछा तो कहा गया कि पैसा कैश में मिलेगा.

ओल्म बताते हैं, "उन्होंने कहा कि कैश में पैसा चाहिए. मैंने कहा कि मेरे बैंक में डाल दो. कैश में काम कौन करता है. ये तो गड़बड़ है."

रास्कोविच के ग्राहक बताते हैं कि उन्हें इस कंपनी के बारे में फेसबुक पोस्ट या फिर लोगों से पता चलता था. ज्यादातर के साथ यही हुआ कि वे नौकरी के लिए रास्कोविच के पीछे भागते रहे. जब कुछ नहीं मिला तो उन्होंने अपना पैसा वापस मांगा. बहुत से लोगों को पैसा नहीं मिला. जिन्हें मिला उन्हें भी आधा-अधूरा. कुछ लोग तो बर्बाद होकर ऑस्ट्रेलिया ही छोड़ गए.

पिछले महीने रास्कोविच ने ग्लोबल स्किल्स को दिवालिया घोषित कर दिया. उन्होंने लगभग ढाई मिलियन डॉलर का कर्ज दिखाया. यानी 45 लोगों के पैसे डूब गए जिनमें ज्यादातर भारतीय माइग्रेंट हैं.

रिकॉर्ड्स के मुताबिक जब कंपनी दीवालिया हुई तो उसके पास 'निल' संपत्ति थी. लेकिन सिर्फ 10 महीने पहले रास्कोविच ने बेला विस्ता में तीन मिलियन डॉलर का मैनशन खरीदा था, जिसे रीयल एस्टेट एजेंट्स हिल्स डिस्ट्रिक्ट के सबसे अच्छे घरों में गिनते हैं. रास्कोविच ने एक लाख डॉलर की काली पोर्शे भी खरीदी है.

रास्कोविच एक और कंपनी के लिए काम करते हैं जिसका नाम है ऑल बॉर्डर्स प्राइवेट लिमिटेड. यह कंपनी ग्लोबल स्किल्स के दीवालिया होने से कुछ हफ्ते पहले ही शुरू की गई. कंपनी वही काम करती है और उसी ऑफिस से करती है. कंपनी के मालिक हैं नियो टाउ, जो रास्कोविच के बेला विस्ता वाले घर में हिस्सेदार भी हैं.

भारत लौटने को मजबूर

41 वर्षीय सुनील कुमार कोचेरला कहते हैं कि ग्लोबल स्किल्स ने उनसे लगभग 30 हजार डॉलर ठगे हैं, रीजनल जॉब दिलाने के एवज में. दो साल पहले कोचेरला ऑस्ट्रेलिया में रहने के लिए रास्ते खोज रहे थे. वह नौकरी दिलाने वाली कंपनियों के चक्कर लगा रहे थे. तब उन्हें ग्लोबल स्किल्स का कॉन्ट्रैक्ट मिला और उन्होंने 40 हजार डॉलर की एवज में उसे स्वीकार कर लिया. बदले में ग्लोबल स्किल्स ने जो वादे किए थे उनमें सीवी और रेफरेंस, इंटरव्यू और प्लेसमेंट के मौके और एक्सेपटेंस प्रोसेस में मदद की बात थी. हालांकि नौकरी की गारंटी नहीं दी जाती लेकिन यह जरूर था कि नौकरी 12 महीने से कम रही तो खर्चे निकालकर बाकी पैसा लौटाने की बात थी.

अप्रैल 2015 में कोचेरला को क्वीन्सलैंड की सनशाइन कोस्ट कंपनी की तरफ से लिखित जॉब ऑफर मिला. इस 'लेटर ऑफ एंगेजमेंट' में कंपनी कि ओर से कोचेरला को नौकरी की पेशकश की गई है. कंपनी के बॉस कहते हैं कि उन्होंने रास्कोविच का नाम कभी सुना भी नहीं. उन्होंने कहा, "मैंने ऐसा कोई काम करने के लिए किसी के साथ कोई समझौता कभी नहीं किया."

हमने इस बारे में रास्कोविच से जवाब पाने के लिए संपर्क करने की बहुत कोशिशें की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

कोचेरला को ऐसे ऑफर तो कई मिले लेकिन नौकरी नहीं मिली. लिहाजा अपने दो बच्चों के साथ वह ऑस्ट्रेलिया से भारत लौट गए.

ग्राहक और मालिक दोनों नाराज

रास्कोविच से सिर्फ उनके ग्राहक ही नाराज नहीं हैं. वे लोग भी नाराज हैं जिनकी कंपनियों में नौकरी देने के बदले रास्कोविच ने धन देने का वादा किया था.

दिसंबर 2015 में लागू हुए नए कानूनों के तहत स्पॉन्सर्ड वीसा दिलाने के लिए किसी को पैसे लेकर नौकरी देना अवैध है. इसके लिए व्यक्तियों को 50,400 डॉलर और कंपनियों को 2,52,000 डॉलर तक का जुर्माना हो सकता है.

रास्कोविच ने तो हमारे सवालों के जवाब नहीं दिए लेकिन जो दस्तावेज एसबीएस-फेयरफैक्स मीडिया ने देखे हैं उनमें एक जगह इंपलॉयर्स को 10 हजार डॉलर की ट्रेनिंग फीस देने की बात है.

ओल्म बताते हैं कि उन्हें 10 हजार डॉलर का वादा किया गया था और ये पैसे वीसा मिल जाने के बाद ही मिलने थे. ओल्म ने एक व्यक्ति को नौकरी दी थी. जब वह उस व्यक्ति से मिले तो उन्हें पता चला कि उसके पास जरूरी अनुभव नहीं है, फिर भी उन्होंने उसे नौकरी दे दी. ओल्म बताते हैं, "उस बच्चे से 50 हजार ठगे जा चुके थे. मैं उसे नौकरी देकर खुश था."

जब उसे वीसा मिल गया तो ओल्म रास्कोविच के पास अपने पैसे पाने के लिए पहुंचे. लेकिन ओल्म कहते हैं कि उन्हें कभी कोई पैसा नहीं मिला. ब्रिसबेन में नूजविल मीट मार्किट्स चलाने वाले गैरी रॉजर्स कहते हैं कि एक माइग्रेंट वर्कर को नौकरी के बदले उन्हें 5 से 10 हजार डॉलर की पेशकश हुई थी.

एक पूर्व ग्राहक वाणी (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि रास्कोविच लोगों की ऑस्ट्रेलिये में रहने की इच्छा का फायदा उठाते थे. वह कहती हैं, "वह दिखाता था कि सारा काम पूरा हो जाएगा. इमिग्रेशन के लिए जो भी चाहिए वह सब दिखा देता था जिससे लगता था कि यह बिजनस तो स्टूडेंट को स्पॉन्सर कर सकता है. यहीं आदमी फंस जाता है."

एक अन्य ग्राहक अंकुर अब अपने 50 हजार डॉलर पूरे करने के लिए ऊबर चलाते हैं. यह पैसा उन्होंने अपने पिता से लिया था. पिता ने किसी से कर्ज लेकर यह पैसा दिया था. वह कहते हैं, "अगर जैक मेरे पैसे नहीं लौटाएगा तो मैं अपने पिता से क्या कहूंगा! उनकी पूरी जिंदगी की कमाई थी."

बर्बाद कर देने वाला अनुभव

कुशल मकैनिक हरमनदीप बराड़ कहते हैं कि उन्होंने चिंचिला में वी कैनडू प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मकैनिक की नौकरी पाने के लिए 45 हजार डॉलर दिए थे. वह बताते हैं, "मैंने बहुत बड़ा खतरा उठाया था. चिंचिला छोटी सी जगह है."

दो महीने बाद हरमनदीप को नौकरी से निकाल दिया गया. वह बताते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट में मकैनिक लिखा था लेकिन काम मजदूरी का था.

"मैंने उन्हें बताया कि मेरे लिए गलत नौकरी खोजी गई है. मैंने कभी डीजल मशीन के साथ काम नहीं किया."

जब हरमनदीप ने अपने पैसे वापस मांगे तो उन्हें कुछ नहीं मिला.

एक अन्य ग्राहक 35 हजार डॉलर खो चुका है. वह अपना नाम नहीं बताना चाहता क्योंकि भारत में उसके माता-पिता को इस बात की जानकारी नहीं है. वह नौकरी खोजने के लिए मारा-मारा फिर रहा है.

'काम करने का कानूनी तरीका'

ग्लोबल स्किल्स के दीवालियेपन के लिए शोन कॉनडोन को नियुक्त किया गया था. वह पिछले महीने रास्कोविच से मिले थे. कॉनडोन बताते हैं, "उन्होंने कहा कि वह एक मुकदमा हार गए हैं और अब अपने व्यापार के लिए बेहतर और शायद ज्यादा कानूनी तरीका खोज रहे हैं."

इस मीटिंग में रास्कोविच ने ऐसे संकेत दिए कि कंपनी के पास कोई संपत्ति नहीं है. लेकिन एसबीएस-फेयरफैक्स मीडिया कि साझी पड़ताल में जनवरी 2017 के बाद के ऐसे मेसेज और ईमेल मिले हैं जिनमें रास्कोविच की कंपनी ने ग्राहकों को वेस्टपैक अकाउंट में पैसे देने को कहा गया है.

हमें जो इनवॉइस मिले हैं उनमें देखा जा सकता है कि ग्लोबल स्किल्स के दीवालिया होने से छह महीने पहले रास्कोविच से जुड़ी दो कंपनियों ने रेंट, मैनेजमेंट और कंसलटेंसी की एवज में रास्कोविच के लिए करीब एक मिलियन डॉलर की पेमेंट मांगी है.

और अभी कंपनी दीवालिया हुई भी नहीं थी कि ग्राहकों को रास्कोविच की ही दूसरी कंपनी के खातों में पैसे जमा कराने को कहा जा रहा था. इसी कंपनी के नाम बेला विस्ता वॉटर्स वाला घर है. पोर्शे समेत कई कारें भी हैं.

पहले ही डिस्क्वॉलिफाई

2008 में रास्कोविच पर कंपनी मैनेज करने के लिए चार साल का प्रतिबंध लगाया गया था. तब ऑस्ट्रेलियन सिक्यॉरिटीज ऐंड इन्वेस्टमेंट्स कमीश ने पाया था कि रास्कोविच ने दीवालिया हो चुकीं तीन कंपनियों के जरिए कारोबार किया था.

ग्लोबल स्किल्स भी www.rsms457.com नाम की एक वेबसाइट पर लिस्टेड दिख रही है.

ऑस्ट्रेलियन इमिग्रेशन लॉ सर्विसेज के एग्जेक्यूटिव मैनेजर जो यून हान कहती हैं कि माइग्रैंट्स का इस तरह के स्कैम्स फंसना और पैसे लुटा बैठना आम है.

"सबसे आम कहानी यह होती है कि मैंने फलां एजेंट को पैसे दिए. उसने कहा था कि वो स्पॉन्सर करवा देगा. लेकिन ऐसा कभी होता नहीं है. लोग 50 हजार डॉलर तक गंवाते हैं."

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Published 14 November 2017 10:57am
Updated 12 August 2022 3:54pm
By Elise Potaka, Mario Christodoulou, Vivek Asri

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