साम्प्रदायिक सौहार्द की बानगी है ये रामलीला

वैसे तो रामलीला में स्थानीय कलाकार रहते हैं लेकिन कुछ रामलीला बिलकुल अलग हो जाती हैं. लखनऊ से केवल 20 किलोमीटर दूर बक्शी का तालाब स्थान पर एक रामलीला बरबस सबका ध्यान अपने और खीच रही हैं.

Actors Perform In Ramlila During Hindu Festival Of Navratri

Source: Sonu Mehta/Hindustan Times via Getty Images

त्योहारों के इस मौसम में रामलीला की धूम मची हुई हैं. भारत में जगह जगह रामलीला का मंचन हो रहा हैं. कलाकार और दर्शक दोनों उत्साहित हैं. हजारो साल से ये परंपरा चली आ रही है.
 
रामलीला सिर्फ हमको श्री राम के जीवन और धर्म के बारे में ही नहीं बताती. इसका मंचन हमें सन्देश भी देता हैं, सामाजिक एकता का, धर्म की विजय का, अच्छाई की जीत का.
Ramlila Performances During Dussehra
Ramlila Performances During Dussehra Source: Sonu Mehta/Hindustan Times via Getty Images

वैसे तो रामलीला में स्थानीय कलाकार रहते हैं लेकिन कुछ रामलीला बिलकुल अलग हो जाती हैं. लखनऊ से केवल 20 किलोमीटर दूर बक्शी का तालाब स्थान पर एक रामलीला बरबस सबका ध्यान अपने और खीच रही हैं. पिछले 46 साल से निरंतर मंचित होने वाली ये रामलीला अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द की जीती जागती मिसाल बन गयी हैं.
 
इस रामलीला में दशरथ, श्री राम, लक्ष्मण, भरत सभी किरदार मुसलमान निभा रहे हैं. इसके निर्देशक मुसलमान हैं, सूत्रधार मुस्लिम और यहाँ तक इसकी शुरुवात भी मुस्लिम सहयोग से हुई हैं. अब आपको इस रामलीला में सलमान खान, अरबाज़ खान भी मिल जायेंगे जो राम और लक्ष्मण का किरदार निभाते हैं.  
  
सबसे पहले 1972 में तत्कालीन ग्राम प्रधान मैकू लाल यादव और डॉ मुज़फ्फर हुसैन ने इस रामलीला की शुरुवात करी. इसमें उन्होंने आसपास और अपने गाँव के मुस्लिमो को साथ लिया. सब आगे आये और शुरू हुआ दशहरा मेला और रामलीला. उनके बाद ग्राम प्रधान के पुत्र विदेश पाल यादव प्रधान बने और उन्होंने भी यही परंपरा जारी रखी. अगर कुछ पात्रो को छोड़ दें तो लगभग सभी पात्र इसमें मुस्लिम निभाते चले आ रहे हैं.
साल 1975 में इस रामलीला में एक 13-14  साल का लड़का साबिर जुडा. उसने तब जटायु का किरदार निभाया. सबने खूब तारीफ करी. आज ४३ साल बाद वही साबिर राजा दशरथ का किरदार निभा रहा हैं. यही नहीं उसके लड़के सलमान और अरबाज़ राम और लक्ष्मण का किरदार निभाते हैं वहीँ साहिल भरत का रोल करते हैं. इनका एक लड़का शेरखान राजा जनक बनता हैं. अब तो इनके नाती भी रामलीला में अभिनय करने लगे हैं. साबिर आज रामलीला के डायरेक्टर भी हैं और सूत्रधार भी. विदेश पाल यादव के शब्दों में साबिर अब महर्षि व्यास की गद्दी पर हैं.
  
अब जब समाज में रिश्ते कमज़ोर पड़ने लगे हैं तब विदेश पाल यादव और साबिर जैसे लोग एक उम्मीद की तरह लगते हैं इन्ही जैसो के लिए अल्लामा इकबाल ने कहा हैं :
हैं राम के वजूद पे हिंदुस्तान को नाज़ अहल ए नज़र समझते हैं उसको इमाम-ए-हिन्द.


Share
Published 19 October 2018 6:43pm
By Faisal Fareed

Share this with family and friends


Download our apps
SBS Audio
SBS On Demand

Listen to our podcasts
Independent news and stories connecting you to life in Australia and Hindi-speaking Australians.
Ease into the English language and Australian culture. We make learning English convenient, fun and practical.
Get the latest with our exclusive in-language podcasts on your favourite podcast apps.

Watch on SBS
SBS Hindi News

SBS Hindi News

Watch it onDemand